उद्देश्य

राज्य कृषि उत्पादन मण्डी परिषद की स्थापना मण्डी समितियों की विभिन्न गतिविधियों और कल्याणकारी योजनाओं के आयोजन नियंत्रण और मार्गदर्शन के लिए वर्ष 1973 में राज्य स्तर पर की गयी थी।

  • मण्डी समितियों के कार्य संचालन तथा उनके कार्य-कलापों, जिनके अन्तर्गत ऐसी समितियों द्वारा नये मण्डी स्थनालें के निर्माण वर्तमान मण्डियों तथा मण्डी क्षेत्रों के विकास के लिये व्यवसायी कार्यक्रम भी है, तथा पर्यवेक्षण और नियन्त्रण।
  • समितियों को सामान्य रूप से अथवा किसी समिति को विशेषतः उसकी दक्षता को सुनिश्चित करने के उद्देश में निदेश देना।
  • ऐसे अन्य कृत्य जो उसे अधिनियम द्वारा सौपे जाये।
  • ऐसे अन्य कृत्य जो राज्य सरकार द्वारा, गजट में अधिसूचना द्वारा परिषद् को सौंपे जायें।

    पूर्ववर्ती उपबन्ध की व्यापका पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना ऐसी शक्ति के अन्तर्गत निम्नलिखित शक्ति भी होगी-

  • मण्डियों के विकास के लिये समितियों द्वारा चुने गये स्थलों के प्रस्तावों का अनुमोदन करना।
  • स्थल नक्शों और समिति द्वारा व्यवस्थित निर्माण कार्यक्रमों के तखमीने तैयार करने में समितियों का पर्यवेक्षण तथा पथ प्रदर्शन करना।
  • परिषद् की निधि पर भारतीय समस्त निर्माण कार्यों को निष्पादित करना।
  • ऐसे प्रपत्रों में जो नियम किये जायें, लेखे रखना और उनकी लेखा परीक्षा ऐसी रीति से जैसी परिषद् के विनियमों में निर्धारित की जाये, करना।
  • वर्ष की समाप्ति पर अपनी प्रगति रिपोट, पक्का चिट्ठा तथा आस्तियों और दायित्तवों का विवरण-पत्र प्रति वर्ष प्रकाशित करना और उनकी प्रतियतां परिषद् के प्रत्येक सदस्य तथा सीभ मण्डी समितियों के सभापतियों को भेजना।
  • कृषि उत्पादन के विनियमित क्रय-विक्रय से सम्बद्ध विषयों का प्रचार तथा विज्ञापन करने के लिये आवश्यक प्रबन्ध करना।
  • मण्डी समितियों के अधिकारियों तथा सेवकों के प्रशिक्षण के लिये सुविधाओं की व्यवस्था करना।
  • आगामी वर्ष का बजट तैयार करना और अंगीकृत करना।
  • इस अधिनियम के प्रयोजनार्थ ऐसे निर्बन्धनों तथा शर्तों पर जैसा परिषद् अवधारित करें, मण्डी समितियों को वित्तीय सहायता और उधार देना।
  • ऐसे सभी अन्य कार्य करना जो मण्डी समितियों के सामान्य हित में अथवा परिषद् से दक्षतापूर्ण कार्य करने के लिये आवश्यक समझे जायें अथवा राज्य सरकार द्वारा समय-सयम पर निर्दिष्ट किये जाये।